बिजली की समस्या
बिजली आज भी इस आधुनिक युग में एक समस्या बनी हुई है। हलाकि इसे समस्या कहना गलत होगा इस युग में, क्यूकी आज हम इस मुकाम पर पहोच चुके है जहा मनुष्य के लिए कुछ भी असंभव नहीं रहा है। वो जो चाहे कर सकते है, वो जो चाहे बना सकते है, और जहा चाहे ले जा सकते है।
तो फिर बिजली समस्या क्यू है। क्या हम बिजली बनाने में असमर्थ है या फिर इसको पहुंचाने में सक्षम नहीं है।
कुछ इन्ही विषयो में हम आज इस ब्लॉग में बात करने वाले है।
ये बस्ती की समस्या भाग-3 है और आज हम "बिजली" के बारे में बात करने वाले है। ये बस्ती में आज भी एक समस्या क्यू बनी हुई है, और इस समस्या का समाधा क्या है। हम इस पर भी बात करने वाले है।
तो सबसे पहले हम बात करते है बिजली के इतिहास की
बिजली का इतिहास
150 वर्ष पूर्व जब बिजली की खोज नहीं हुई थी और हम जब पूरी तरह से सूर्य पर निर्भर थे। सूरज ढलने बाद जब चारो ओर अँधेरा हो जाता था जिस कारण लोग अपना कुछ काम रात में नहीं कर पाते थे। रत के कामो के लिए लोगो को लालटेन और मोमबत्तियों का सहारा लेना पड़ता था। अगर लोगो को रात में सफर करना होता था तो लोगो को मशालों का उपयोग करना पड़ता था , उनके पास कोई और रास्ता नहीं था उजाला पाने का वो लोग पूरी तरह से कल के ऊपर निर्भर रहा करते थे की कब सुबह होगा और हर जगह रोशनी आएगी।
NIKOLA TESLA
इसी समस्या को दूर करने के लिए 9 और 10 जुलाई 1856 के आधी रात को एक लड़के का जन्म हुआ जिसका नाम था निकोला टेस्ला। निकोला टेस्ला का जन्म आधी रात को हुआ था और उस दिन मौसम बोहोत ज्यादा खराब था। खूब बारिश हो रही थी जोर-जोर से हवा चल रही थी और बिजलिया कड़क रही थी। इस तूफान भरी रात में निकोला टेस्ला का जन्म हुआ। टेस्ला के पिता Milutin Tesla एक चर्च में पादरी थे और टेस्ला की माँ Doka Tesla एक पादरी की बेटी थी। टेस्ला की माँ पढ़ी लिखी नहीं वो एक साधारण महिला थी। पर जब भी उनके पास खाली समय होता था वो तरह-तरह के होम क्राफ्ट बना लिया करती थी और वो innovative महिला थी।
अपनी माँ को ये सब करते देख टेस्ला भी कुछ ना कुछ करते रहते थे जिस से उनके नन्दर भी जिज्ञासा आने लगा
था। टेस्ला के कई innovative खोज के करण वो आस-पास के गाव में मशहूर थे।
टेस्ला Integral Calculation के कठिन से कठिन सवाल मिनटों में पूरा कर लिया करते थे। ये देख के टेस्ला के अध्यापक भी हैरान रह जाते थे उनकी इस रफ़्तार के वजह से अद्यापको को लगता था की वो सवालो का जवाब नक़ल करके दिया करते थे परन्तु ऐसा नहीं था। समय के साथ टेस्ला ले अद्यापको को भी दिखा दिया की वो सच में एक चतुर बालक थे। अद्यापको को भी यकीन हो गया था की टेस्ला अन्य बालको से अलग था और ये भविष्य में कुछ बड़ा करेगा।
कड़ी मेहनत करते थे टेस्ला इसलिए तो उन्होंने 4 साल की पढाई को 3 साल में ही पूरा कर लिया था और 1873 में वो स्नातक की उपाधि प्राप्त (Graduated) कर लिया था।
टेस्ला के पिता। Milutin Tesla उनको पादरी(priest) बनाना चाहते थे। लेकिन टेस्ला अपनी आगे की पढाई करना चाहते थे।
NIKOLA TESLA IN LAB
टेस्ला ने अपने एक सपने के बारे में अपने पिता को बताया था, जिसने वो अमेरिका में नाइग्रा फॉल्स की गतिज ऊर्जा को बिजली में बदल रहे है। टेस्ला ने बोहोत प्राथना की अपने पिता से की उन्हें अपने आगे की पढ़ाई पूरा करने दे परन्तु उनके पिता ने उनकी एक न सुनी। 1873 में जब टेस्ला अपनी Graducation के बाद सम्मिलन ज़ोन अपने गाऊँ वापिस आए तो उनको CHOLERA यानि की हैजा हो गया। इस बीमारी ने टेस्का को लगभग 10 महीने तक बिस्तर से उठने नहीं दिया और तो वो कई बार मरते-मरते बचे है।
टेस्ला को इस बीमारी से लड़ते देख टेस्ला की माँ बोहोत परेशान रहने लगी और ज्यादातर वो भी बीमार ही रहती थी। एक बार बीमारी के दौरान टेस्ला के पिता ने टेस्ला से कहा की अगर तुम अपनी बीमारी से बाहर निकल आते हो तो मैं तुम्हारा दाखिला सबसे अच्छे इंजीनियरिंग स्कूल में करवा दूंगा।
ये सुनकर ना जाने टेस्ला के अंदर कोनसी शक्ति आ गई और वह कुछ समय के बाद अपनी बीमारी से बाहर निकल आए। टेस्ला के ठीक होने के बाद टेस्ला के पिता ने जो वादा टेस्ला से किया था उसे सच में पूरा किया और गरज़ के GRAZ UNIVERSITY OF TECHNOLOGY में दाखिला करवा दिया। अपने पहले साल में टेस्ला ने एक भी lecture को नहीं छोड़ा था। उन्होंने लगभग 9 परीक्षा पास किया जबकि जरुरत फिर्फ 4 परीक्षा होने की थी और उन्होंने सभी परीक्षा में उच्य अंक प्राप्त किया था।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद टेस्ला ने कई वैज्ञानिको के साथ काम किया और उन्होंने वैज्ञानिको के उपकरणों में कई सुधार किया कइयों ने तो उन्हें निचा भी दिखाया। वैज्ञानिको को लगता था की ये अभी अभी आया है और हमे कैसे राय दे सकता है। इस तरह के वेहवार व्यवहार से टेस्ला को बोहोत बुरा लगता था। कुछ समय बाद टेस्ला पेरिस चले गए और वाह उन्होंने महाद्वीपी एडीसन कंपनी में काम करना चालू कर दिया। जहा वह प्रत्यक्ष वर्तमान (DC) संयंत्रो की मरम्मत करते थे। दो साल तक एक ही पद पर काम करने के बाद वह अमेरिका आये और
हमेशा के लिए वही बस गए। 1884 में न्यू यॉर्क शहर में मैनहटन मेनहट्टन क्षेत्र में रहते हुए , थॉमस एडिसन से मिले और उनके सामने प्रथाव रखा की वह एडिसन के साथ काम करना चाहते है। एडिसन को उनकी बाते और इनका काम देख के लगा की इसमें कुछ अलग बात है और इसे अपने साथ रखना चाहिए।
एडिसन ने टेस्ला को बतौर इंजिनियर के पद पर रखा। एडिसन, टेस्ला के मेहनत और सादगी को देख कर बोहोत प्रभावित हो रहे थे। एक दिन टेस्ला कार्यालय में काम कर रहे थे तभी वहा एडिसन आते है एडिसन कुछ परेशान सा दिखाई देते है। यह देख कर टेस्ला उनकी समस्या का कारण पूछता है , तभी एडिसन टेस्ला से मज़ाक में बोलता है की अगर आप डिज़ायन में सुधार करते है तो आप DC डायनोमस से $50000 पाते है। उस समय वहा $50000 बोहोत बड़ी राशि थी , जोकि आज के समय में $25000000 के बराबर है टेस्ला को ये अवसर बोहोत अच्छा लगा और उन्होंने उसका फ़ायद उठाने का सोचा टेस्ला ने डिज़ायन को सुधारने के लिए 19 घंटे काम करना शुरू कर दिया और दिन-रात मन लगाके काम करते रहे और कुछ दिनों बाद ये काम पूरा हो गया। काम होने के बाद टेस्ला एडिसन के पास जाता है और बोलता है की मैंने डिज़ायन में सुधर कर दिया और फिर वो अपने ईनाम की रकम मांगता है तभी एडिसन जोर-जोर से हंसने लगता है। टेस्ला एडिसन को हसंते देख चकित रह जाता है। एडिसन रुकता है और टेस्ला से बोलता है अरे आप लगता है मेरा मज़ाक समझ नहीं पाए मैं आपने से मज़ाक कर रहा था। ये सुनके टेस्ला को बोहोत बुरा लगा और उनका दिल टूट गया।
THOMAS EDISON AND NIKOLA TESLA
उसके बाद टेस्ला ने एडिसन का साथ छोड़ कर अपनी टेस्ला इलेक्ट्रॉनिक लाइट कंपनी शुरू की पर उसमे वो असफल हुए। टेसल अपनी इलेक्ट्रॉनिक मोटर बनाने में इतने वयस्त हो गए की उनके पास पैसे ही नहीं बचे और जिस कारण उन्हें खुदाई का काम करना शुरू करना पड़ा। टेसल के काम से प्रभावित होके वहा के मेनेजर ने उसे अपने कंपनी के चीफ इंजिनयर अल्फ्रेड ब्राउन से मिलवाया ब्राउन ने टेस्ला के मैगज़ीन आर्टिकल पढ़े थे और वो टेस्ला से बोहोत खुश हुए थे। इसलिए उन्होंने टेस्ला को एक बैंकर से मिलने को कहा जिनका नाम था चार्ल्स पैक। ब्राउन ने कहा की अगर टेस्ला , पैक को अपने आविष्कार से खुश कर देते है तो वो उनके AC मोटर बनाने में फंडिंग देंगे। बाद में टेस्ला ने पैक को अपने आविष्कार से खुश किया और फिर टेस्ला , ब्राउन और पैक में मिलके के कंपनी खोला जिसका नाम था टेस्ला इलेक्ट्रॉनिक कंपनी। अगले 15 सालो में टेस्ला ने बोहोत सरे खोज किये और उसको पेटेंट करवाया।
1888 में टेस्ला ने एक स्पीच दी जिसका नाम था A NEW ALTERNATING CURRENT MOTOR जिसमे उन्होंने पहली बार दुनिया को बताया की बिजली केवल बल्ब के लिए नहीं होता है इससे अप्लाइंसिस और फैक्टिरयों में मशीने चलने के काम भी आ सकती है। ये लेक्चर लोगो को बोहोत पसंद आया और ये बोहोत फेमस हुआ। टेस्ला के इस स्पीच से प्रभावित होक वेस्टिंगहाउस कंपनी टेस्ला के पास आये और उन्हें अपने साथ काम करने का आमंत्रण दिया और टेस्ला वेस्टिंगहाउस कंपनी के साथ काम काने के लिए तैयार हो गए और उन्होंने AC(ALTERNATING CURRENT) पर का करना शुरू कर दिया टेस्ला ने बोहोत सरे खोज किये जैसे Oscillators, Electric Meter और Condenser बनाया और यहाँ तक की उन्होंने E-Ray पर भी काम किया और बताया था की E-Ray हमारे शरीर के लिए ख़तरनाक हो सकता है। टेस्ला ने ये भी दिखाया की बिजली को किस प्रकार बिना तारो के एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है। टेस्ला के विज्ञान में बेहतरीन योगदान देने के बाद 86 साल के उम्र में मृत्यु हो जाती है।
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ये तो था बिजली का इतिहास और निकोला टेस्ला ने किस तरह बिजली को और बेहतर बनाने में अपना योग्दान दिया था। थॉमस एडिसन के DC(DIRECT CURRENT) करंट के खोज के बाद निकोला टेस्ला ने AC(ALTERNATING CURRENT) की खोज के बाद एक बड़ी क्रांति आई AC करंट आने के बाद लोग पंखा, कूलर , गाड़ी और फ़ैक्टरियो में मोटर चलाने लगे। इसकी वजह से लोगो का काम आसान होने लगा।
पर आज के दौर में भी ये भारत जैसे विकासशील देश में एक समस्या बानी हुई है। भारत में ऐसे बोहोत से गाऊँ कसबे और छोटे जगह है जहा आज भी बिजली का प्रभाव ठीक तरीके से नहीं होता है। कुछ इसी जगहों में से एक जगह है बस्ती जहा आज भी बिजली एक समस्या बानी बैठी है।
अब हम बात करते है की कैसे बस्ती में बिजली एक समस्या है और लोग इसका किस प्रकार से सामना करते है।
बस्ती में बिजली की समस्या
भारत में लगभग बिजली की समस्या समाप्त हो चुकी है। बड़े-बड़े राज्यों , शहरों और महानगरों में तो ये समस्या जैसे कभी थी ही नहीं जहा देखो वहा रोशनी और चमक धमक रहती है। इन क्षेत्रो में 24 घंटे और सतो दिन बिजली रहती है।
पर अगर हम दूसरी ओर इन छोटे क्षेत्रो यानिकि बस्तियों को देखे तो बिजली आज भी यहाँ एक गंभीर समस्या बानी हुई है। बस्ती जैसे छोटे क्षेत्रो में बिजली का बोहोत अभाव होता है। प्रसासन द्वारा इन क्षेत्रो में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। सारी सुबिधाए और सारा ध्यान महानगरों में दिया जाता है।
अगर बिजली की सुबिधा दी भी जाती तो पूर्णरूप से नहीं दी जाती है। समय निर्धारित कर दिया जाता है की कब बिजली आएगी और कब बिजली जाएगी। जिससे लोगो को अपना कुछ काम इन समायो पर छोड़ दिया जाता है। जिस कारण लोग अपना काम निर्धारित समय और नहीं कर पते है।
बिजली समस्या कैसे है?
- ध्यान न देना - परसासन का लगतार महानगरों पे ध्यान होता है जिस कारण उनका इन छोटे क्षेत्रो पे ध्यान कम जाता है और जिस वजह से इन छोटे क्षेत्रो का विकाश नहीं हो पता है। इसी कारण इन क्षेत्रो में ऐसी सुविधा होते हुए भी नहीं होती है।
- बिजली चोरी - बस्ती जैसे छोटे क्षेत्रो में लोग बोहोत से गलत काम करते है जैसे बिजली चोरी। लोगो कि अच्छी आय ना होने के कारण लोगो लोग अपना बिजली बिल नहीं भर पते है जिस वजह से लोगो को ऐसा करना पड़ता है। कुछ लोग बिजली की चोरी अपने लाभ के लिए भी करते है। लोग बिजली की चोरी करके अन्य लोगो को अपने रिस्क पर बिजली बेचते है।
- महानगरों में बिजली का ज्यादा उपयोग - बड़े-बड़े महानगरों में बिजली की आवश्यकता अधिक होती है क्यूकी इन क्षेत्रो में अधिक बड़े कारखाने , स्कूल , कॉलेज , अस्पताल , ट्रैन और अलग-अलग प्रकार की मशीने चलाई जाती है। ये सब स्थान पूर्णरूप से बिजली पर निर्भर है। जिस कारण इन क्षेत्रो को पूर्णरूप से बिजली पहुंचना ज्यादा जरुरी है। महानगरों में बिजली का कोई अभाव ना हो इस लिए छोटे क्षेत्रो में बिजली काट दी जाती है।
बिजली की समस्य का समाधान
- बराबर ध्यान देना - परसासन द्वारा महानगरों और छोटे क्षेत्र व बस्तियों पे बराबर ध्यान दिया जाए। बस्तियों को नजर अंदाज़ न करे।
- बिजली की चोरी पर रोक - लोगो द्वारा की जा रही बिजली की चोरी की जांच की जाए और उनके खिलाफ सख्त करवाई की जाए।
- बिजली के उपयोग का सामानांतर - बिजली उपयोग को समानांतर किया जाए अगर महानगरों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाया जाता है तो छोटे क्षेत्रो में भी सामान समय के लिए बिजली दी जाए।
हम किस प्रकार बिजली बचा सकते है
- सही मात्रा में उपयोग - अगर हम बिजली का सही मात्रा व सही ढंग से उपयोग करे तो हम बिजली को बोहोत बड़े स्तर पर बचा सकते है।
- सही उपकरणों का उपयोग - बिजली बचाने के लिए हमे काम बिजली खपत करने वाले उपकरणों का उपयोग करना चाहिए जैसे - CFL बल्ब जोकि 80 फीसदी बिजली बचती है और 10 से 15 गुना ज्यादा चलती है।
- सोलर पैनल - सोलर पैनल एक महंगा यंत्र है पर ये बोहोत उपयोगी है। दिन भर इसे सूर्य से चार्ज होने दो और रात को इसका उपयोग करो। इसके माद्यम से सूर्य का बोहोत अच्छा इस्तेमाल होता है और भविष्य में इसके इस्तेमाल को बढ़ाया जाएगा.
SOLAR PANEL
इस ब्लॉग में हमने बिजली के विषय में बात किया की किस प्रकार ये आज के आधुनिक दौर में भी एक समस्या बनी हुई है। हमने बताया की बिजली एक समस्या कैसे है और इसका समाधान क्या है, और आप हम इसे बचाने में किस तरह का योगदान दे सकते है।
और आपने ये भी जाना की बिजली के इतिहास में निकोला टेस्ला ने किस प्रकार अपना योगदान दिया और AC(ALTERNATING CURRENT) की खोज किया।
1 Comments
Osmmm
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